महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी अर्थ, कब और कैसे किया जाता है इसका जप

 

महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी अर्थ, कब और कैसे किया जाता है इसका जप

Maha Mrityunjaya Mntra Credit:-

Singer: Shankar Sahney, Others Composer: Shankar Sahney Artist: Shankar Sahney Producer: Bhushan Kumar Music Label: T-Series

महामृत्युंजय मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र को शिव मंत्रों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र के जप से मन, शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है: ॐ त्र्यम्बकम यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

त्र्यम्बक का अर्थ है जो तीन आँखों वाला होता है। यह मंत्र मृत्यु के विनाश के लिए प्रार्थना करता है। सुगंधित और सभी प्राणियों के लिए पोषण करने वाले तीन आँखों वाले शिव का वंदन किया जाता है। मन्त्र के अंतिम दो पंक्तियों में मृत्यु से मुक्ति के लिए बिना किसी संबंध से ककड़ी को कटा जाना संदर्भित होता है।

मंत्र का जप कब और कैसे किया जाता है:

महामृत्युंजय मंत्र को दिन में किसी भी समय जप किया जा सकता है, लेकिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है जप को सुबह के समय करना। इस मंत्र का जप करने के लिए पूर्व से तैयार किए गए ध्यान और भक्ति के साथ एक स्थिर स्थान पर बैठें। स्थान को शुद्ध और शांतिपूर्ण बनाने के लिए पूजा और अर्चना की जा सकती है।

फिर, माला के साथ मंत्र का जप करना शुरू करें। माला को अपने अंगूठे और मध्यमा उंगलियों के बीच में रखें। मंत्र का जप करते समय, हर बार माला की एक माला को अपनी उंगलियों से आगे बढ़ाएँ। ध्यान रखें कि माला को अपने अंगूठे से छूने नहीं दें।

सामान्य रूप से, १०८ बार मंत्र का जप किया जाता है। मंत्र का जप करते समय, ध्यान रखें कि आपका ध्यान कहीं भटकता नहीं है और आप सभी मंत्रों के अर्थ को समझते हैं। मंत्र का जप करने के बाद, एक शांतिपूर्ण ध्यान अवस्था में कुछ समय तक बैठें और शांति का अनुभव करें।






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